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बिन सुने सामने से गुजरता है आदमी

प्रतियोगिता हेतु प्रस्तुत
दिनांक, 29 अक्तूबर 2023
कवि, नूतन लाल साहू
विषय,बिन सुने सामने से गुजरता है आदमी

घूम रहा है चक्र जगत का
हम तुम सब है धागें
हमारें जीवन का है कर्मो से नाता
हम ही है अपना भाग्य विधाता
जो दिल पर गुजरती है उसे मैं कैसे बताऊं
कहां जा रहा है तू ऐ जाने वाले
निशदिन हो रहा है सत्संग रामायण भागवत
पर बिन सुने सामने से गुजरता है आदमी।
ये जीवन एक संग्राम है
जैसी करणी वैसी भरणी
यही है जीवन की सच्चाई
कोई किसी के साथ नही जाता है
हमारे जीवन का है कर्मो से नाता
जो दिल में गुजरती है उसे मैं कैसे बताऊं
करुण स्वरों में रो रोकर पुकार रहा है हमें
कोई दर्द का मारा
पर बिन सुने सामने से गुजरता है आदमी।
मन दर्पण में देख लें प्यारें
प्रभु जी तो तेरे पास में ही है
सबसे कर लें प्यार जगत में
कोई नही है पराया
ब्रम्हा विष्णु महेश कोई और नही है
साक्षात माता पिता और गुरु जी है
जो दिल में गुजरती है उसे मैं कैसे बताऊं
अंतर्रात्मा की आवाज को
आज अनसुना कर रहा है इंसान
बिन सुने सामने से गुजरता है आदमी।

नूतन लाल साहू

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2 Comments

Gunjan Kamal

10-Nov-2023 05:36 AM

👏👌

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Varsha_Upadhyay

05-Nov-2023 10:06 PM

Nice 👍🏼

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